चौली कि जाली या चौथी कि जाली | Chauli Ki Jali Ya Chauthi Ki Jali

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चौली की जाली या चौथी की जाली | Chauli Ki jali Ya Chauthi Ki Jali 

नैनीताल जिले में मुक्तेश्वर मंदिर के बाजू में स्थित चौथी की जाली या चौली की जाली एक प्रमुख पर्यटक स्थान है । पहाड़ी की चोटी पर बसा यह स्थान “चौली की जाली”  नाम से ज्यादा जाना जाता है. यहाँ हर साल शिवरात्रि के दिन मेले का भी आयोजन किया जाता है।

चौली की जाली के सम्बन्ध में मान्यता | Chouli Ki Jali ki Manyata

कहा जाता है कि शिवरात्रि के दिन शादीशुदा  महिलाएं, जिनको किसी कारण वंश संतान का सुख प्राप्त नहीं हो पाता वो संतान प्राप्ति के लिए अपनी कामना के साथ चट्टान पर बने इस प्राकृतिक छिद्र को पार करती  है। किसी भी प्रकार कि सुरक्षा न होते हुए भी महिला संतान के सुख के लिए बिना डरे इस छिद्र को पार कर लेती है।

चौली की जाली से सम्बंधित किवदंतियां | Chouli Ki Jali Ki Kiwdantiyan

एक महिला ने सच पर आधारित घटना बताते हुवे बताया कि, किसी महिला को संतान प्राप्ति नहीं हो रही थी और एक महिला के कहने पर उस महिला ने शिवरात्रि के दिन पूजा अर्चना की और अपनी संतान प्राप्ति  कामना  के साथ उस छिद्र को पार करने चली गयी. आज वो ही महिला  दो सन्तानो का सुख भोग रही है।  देर से ही सही भोलेनाथ के आशीर्वाद से  उस दंपत्ति को  संतान की प्राप्ति हो गयी। और ऐसे ही आस-पास और भी तमाम महिलाएं है जो आज भी चौली कि जाली पर बने इस छिद्र का वर्णन करना नहीं भूलती।

पैराणिक सन्दर्भ | Paranik Sandarbh

कहानी के रूप में बताया जाये तो स्थानीय निवासी गणेश बोहरा बताते है। जब सैम देवता अपने गणों के साथ हिमालय जा रहे थे, तो रास्ते में चौली कि जाली कि चट्टान आ गयी, उधर शिवजी भी उस वक्त चट्टान में धुनि रमाये बैठे थे.  यह देख के सैम देवता ने भोलेनाथ से मार्ग देने के लिए आग्रह किया परन्तु भोलेनाथ तपस्या में लीन होने के कारण सैम देवता का आग्रह नहीं सुन पाए.  यह देख सैम देवता को क्रोध आ गया और अपने अस्त्र से चट्टान में प्रहार कर दिया जिससे एक बड़ा छिद्र हो गया। आज के समय में उस जगह को चौली की जाली या चौथी की जाली नाम से जानते है।

By HindiWall

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