चिल्लाती लाशें

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चिल्लाती लाशें

कुछ लाशें रोज टीवी पर चिल्लाती है
देखो दुनिया आ गई घुटने पर बताती हैं.
सड़कों पर लोग जो भूख से मर गए
उन्हें भर पेट खाना खिलाती हैं.

ये लाशें कभी राफेल में बैठकर इठलाती हैं
तो कभी खुलेआम चौराहे में उधम मचती हैं.
कभी 1000 साल के मुर्दे को जिलाती हैं
जब नहीं मिलता कुछ तो , पत्थरों को दूध पिलाती हैं.

कुछ लाशों का काम हैं अंदर के दुश्मन को छांटना
कुछ लाशें सरहद पार जाकर बम गिराती हैं.
ये लाशें चीख- चीख कर चिल्लाती हैं
मुर्दा कौमों को सही राह बताती हैं.

हुक्मरानों का हुक्म बजाना इनका काम हैं
बिकी हुवी ये रूहें, देश में आग लगाती हैं .
इन लाशों का भोजन झूठ हैं
ये लाशें सच का आचार बनाती हैं

कुछ लाशें रोज टीवी पर चिल्लाती है
देखो दुनिया आ गई घुटने पर बताती हैं.
सड़कों पर लोग जो भूख से मर गए
उन्हें भर पेट खाना खिलाती हैं.


हिन्दीवाल के लिए इस व्यंग “चिल्लाती लाशें ” के लेखक का नाम रोहित गड़कोटी है. अल्मोड़ा (उत्तराखंड) में रहते है. हिन्दीवाल ब्लॉग में संपादन का कार्य भी करते है.

happy mothers day ma

4 thoughts on “चिल्लाती लाशें”

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