Sachi khusi kese mile | सच्ची खुसी कैसे मिलती है | How to get real Happiness

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Sachi khusi kese mile | सच्ची खुसी कैसे मिलती है | How to get real happiness

हे राम …..हम बहुत दूर गये विपरीत दिशा में.

 Sachi khusi kese mile | सच्ची खुसी कैसे मिलती है | How to get real happiness | दीपावली, होली, ईद, क्रिसमस ये सब ख़ुशी के मौकें हें. खुसी एक बात है वास्तविक खुसी दूसरी बात. मैंने महसूस किया है खुसी के इन  को. मेरा दोनों प्रारूप पड़ोसी ने बातों- बातों में जिक्र कर दिया कि वो १५००० के पटाखे लाया है. यद्यपि उनके कहा कि बच्चों की जिद के आगे झुकना ही पड़ता है, मेरे भी १५ हजार रूपये फूक दिए इन्होने. मगर उसे खुसी थी की वो हमारी तुलना में बहुत ज्यादा के पठाके जला पाया, हमने मात्र ८० रूपये खर्च किये पाठकों में. ये उसकी खुसी है अच्छी है कमा रहा है तो खर्च भी करने चाहिए. खुसी तो मनानी ही चाहिए.

सच्ची खुसी कैसे मिलती है | How to get real happiness

पूरा शहर खुसी से सरोबार है, प्रकाश से जगमग शहर आज वाकई भगवान राम की वापसी का त्यौहार मना रहा है. करोड़ों के पठाके जले होंगे पता नही कितना और अलग- अलग मदों में खर्च हुवा होगा इसी तरह आज अकेले दिन.

इसी शहर के बीच में एक अनाथ आश्रम है. ज्यादा बच्चे नहीं  है कोई ५०-६० ले आस पास होंगे, कुछ अच्छे लोग उधर भी गए, अलग- अलग तरह के सामान ले जाकर, ये भी अच्छी बात है. कुछ लोग सामान बाटते हुवे सेल्फी भी ले रहे थे,और कुछ  लोग पत्रकारों या उनके फोटोग्राफरों के साथ भी गये…अच्छा है.| sachi khusi सच्ची ख़ुशी

अपनी- अपनी खुसी है ..जिसको जैसे  मिले (Sachi khusi kese mile | सच्ची खुसी कैसे मिलती है | How to get real happiness)

मैं शाम को सोने से पहले सोचने लगा सब लोग कितने खुस है… बहुत अच्छी बात है. ….मगर ये शहर भर ने अगर ५० -६० लाख के पटाखे भी फूके होंगे तो ……ज्यादा तो नहीं है… मगर कम भी नहीं है. (sachi khusi सच्ची ख़ुशी)

ये अनाथ आश्रम में बच्चों के पास उनके खाते मैं ये रूपये जाते और उनके भविष्य का प्रबंध होता तो ज्यादा अच्छा होता.. तब मुझे लगा ….नहीं- नहीं …ये बात जमी नहीं……  ये तरीका तो वो वाली खुशी नहीं दे सकेगा जो आज मेरे शहरवासी चाहते हैं.

नहीं- नहीं ऐसा नहीं है… वो सच्ची खुसी भी चाहते हे… वो सेल्फी वाले लड़के, वो पत्रकार वाले नेताजी टाइप लोग …ये सब लोग तो (sachi khusi सच्ची ख़ुशी)  की तलाश में ही उधर गये थे. (Sachi khusi kese mile | सच्ची खुसी कैसे मिलती है | How to get real happiness)

अख़बार में भी तो आया है कि उनको तो त्योहारों के दिनों बिना दान- पुण्य के चैन ही नहीं मिलता…..लोग भी सुबह- सुबह अख़बार पड़ते हुवे यही तो कह रहे थे…..अमकने जी तो वाकई नेक दिल हैं…हर बार ये जाते है अनाथालय….पिछली बार भी मैंने इनकी फोटो देखी थी अख़बार में…. हमारे भी अच्छे जानकर है, पिछले इलेक्शन में फलाने जी के साथ काफी काम किया था इन्होने. ये नेता लोग भी देखो…कितने चालाक होते है…. अच्छे लोग को साथ लेकर चलते है ऐसे ही तो इनका बोट बैंक बढता है.अरे ये ही तो सच्ची ख़ुशी है, दान पुण्य के साथ अख़बार और मिडिया भी तो बोल रहा है. सच्ची ख़ुशी के साथ साथ बोट बैंक फ्री (sachi khusi सच्ची ख़ुशी)

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